खूनी तांडव 21
रात को 10:00 बजे विराज के घर के बाहर एक ब्लैक लेम्बोर्गिनी आकर रुकी... उसके कांच पर ब्लैक कलर की फिल्म चढ़ी हुई थी। जिससे अंदर कौन है... यह बाहर वाले को दिखाई नहीं देता था।
पांच मिनट बाद उस गाड़ी का पीछे वाला दरवाजा खुला… और एक पैर बाहर निकला। वह पैर किसी खूबसूरत लड़की का लग रहा था... जिसने गोल्डन कलर की 6 इंच की हील्स पहनी हुई थी।
उसके बाद धीरे से वह लड़की बड़ी खूबसूरती से अदा के साथ गाड़ी से बाहर निकली।
5 फुट 9 इंच लंबी, गोरा रंग, कमर से नीचे लहराते काले बाल और नीली आंखें... होठों पर डार्क रेड लिपस्टिक और कातिल मुस्कान… मेक-अप उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। नाक में एक डायमंड नोज रिंग चमक रही थी। रेड कलर का स्किन फिटेड गाउन पहना था जिसमें उसका फिगर बहुत ही खुलकर दिखाई दे रहा था। गाउन का नेक डीप था, जिससे उसके क्लीवेजेस् दिखाई दे रहे थे। गाउन में लेफ्ट पैर की तरफ एक डीप स्लिट थी जिसमें से उसकी खूबसूरत टांग लगभग पूरी ही दिखाई दे रही थी। उसके ब्रांडेड परफ्यूम की भीनी-भीनी सुगंध किसी को भी मदहोश करने में सक्षम थी।
गाड़ी से उतरते ही अपने बालों को एक अदा से झटका दिया और लहराते हुए मेन डोर की तरफ चल दी। अपनी लंबी नेल पॉलिश लगी... अंगुलियों को लहराते हुए अपने नाखून से डोर बेल को बजाया। बेल के बजते ही एक बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक धुन निकल कर आसपास के माहौल में घुल गई।
जल्दी ही वह दरवाजा खुल गया... दरवाजा विराज ने ही खोला था। उस लड़की को देखते ही विराज की आंखें और मुंह खुला का खुला रह गया था। जब विराज ने दरवाजा खोला था... तब वह लड़की बहुत ही खूबसूरती से दरवाजे की चौखट का सिरहाना लेकर खड़ी थी। उसने लेफ्ट पैर को बहुत ही खूबसूरती से एक तरफ टिकाया हुआ था, जिसके कारण उसके गाउन से उसका पैर पूरा ही बाहर दिखाई दे रहा था। विराज उसे वैसे ही मुंह खोल कर देखे जा रहा था।
उस लड़की ने बहुत ही दिलकश आवाज में एक-एक शब्द पर जोर देते हुए कहा, "ऐसे ही दरवाजे पर... मेहमान को खड़ा रखा जाता है… आपके यहां… या फिर आप नहीं चाहते... कि मैं अंदर आऊं…! अगर ऐसा है... तो मैं वापस चली जाती हूं…!!" ऐसा कहकर वह लड़की झटके से वापस पलट गई।
उसके पलटने पर विराज को होश आया... कि वह कितनी देर से... ऐसे ही उसे मुंह खोलें देखे जा रहा था। उसने जल्दी से आगे बढ़कर लड़की का हाथ पकड़ लिया... उस लड़की ने बड़ी अदा के साथ विराज के हाथ को देखा और एक मोहक मुस्कान के साथ तिरछी नजर विराज पर डाली।
उस लड़की का ऐसा करते ही विराज एकदम हड़बड़ा गया... और उस लड़की का हाथ छोड़ दिया। हाथ छूटते ही वह लड़की खिलखिला कर हंस पड़ी। विराज फिर उसे देखते ही खो गया...
अबकी बार लड़की ने विराज के मुंह के सामने चुटकी बजाई और पूछा, "आप हमेशा बार-बार ऐसे ही खो जाते हैं... या फिर आज ही कुछ खास बात मणहै…!!"
"नहीं ऽऽऽ नहीं ऽऽऽ... ऐसा नहीं है... बस तुम्हें देख कर यह सोच रहा था... इतनी खूबसूरत लड़कियां… इस धरती पर कब से भगवान भेजने लगे... मुझे तो लगा... कि मैं सपना देख रहा हूं…!!"
उस लड़की ने एक जोरदार चुटकी विराज को काटी... विराज एकदम से…
"आऽऽऊऽऽच"
बोलकर उछल पड़ा... वह लड़की फिर से खिलखिला कर हँस पड़ी और कहा, "आप... मुझे यही दरवाजे पर खड़ा रखने वाले हैं... या फिर अंदर आने के लिए भी कहेंगे…!!"
विराज ने कुछ हकला कर कहा, "सॉरी ऽऽ सॉरी ऽऽऽऽ प्लीज ऽऽऽ कम ऽऽ…!!" कहते हुए अपने हाथों को बालों में फेंकने लगा।
उस लड़की को सोफे पर बैठने का इशारा किया। लड़की ने बहुत ही शानदार तरीके से एक राजकुमारी की तरह एक पैर पर पैर चढ़ाकर सोफे पर बैठ गई। बैठने पर गाउन की स्लिट से उस लड़की की दोनों टांगे दिखने लगी थी... विराज उसे ऐसे देखकर अपने होश खोता जा रहा था।
लड़की ने फिर से उसे टोका, "आई... थिंक... कि मुझे ऐसे ही वापस जाना होगा…!!"
उसकी आवाज सुनकर विराज को थोड़ा सा होश आया तो उसने पूछा, "आप क्या लेना पसंद करेंगी... व्हिस्की, वोडका, रम या फिर कुछ और स्पेशल च्वाइस् है आपकी…??"
लड़की ने एक गहरी नजर विराज की तरफ डाल कर एक गहरी आवाज में कहा, "जो भी आप खुद से मुझे पिलाना... पसंद करेंगे…!!"
विराज का दिल खुशी से उछल पड़ा था… फिर भी नासमझ बनते हुए एकदम से हैरानी से पूछा, "पिलाना पसंद करेंगे... से आपका क्या मतलब…??"
लड़की ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा, "इतने भी बुद्धू तो नहीं... आप…!!" और फिर हंस पड़ी।
विराज ने एक जिन का पैक बनाया और उस लड़की के पास जाकर बैठ गया। विराट ने वह ग्लास लड़की की तरफ बढ़ाया... तो लड़की ने पूछा, "आप... आप नहीं पिएंगे... आप मुझे कंपनी नहीं देंगे…??"
"क्यों नहीं... जब मैं आपको अपने हाथों से पिला सकता हूं... तो हम एक ग्लास शेयर नहीं कर सकते…!" विराज ने उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा।
"क्यों नहीं... हम यहां केवल ग्लास शेयर करने के लिए तो नहीं बैठे हैं…!" लड़की की आवाज़ में मादकता भरी हुई थी।
उसकी बातें सुनकर... विराज ने वह ग्लास वही रख दिया और लड़की का हाथ पकड़कर अपने बेडरूम की तरफ चल दिया।
बेडरूम बहुत ही बड़ा और हवादार था। दरवाजे के सामने एक गोल बेड लगा हुआ था जिस पर व्हाइट रंग की फ्रिल वाली चादर बिछी हुई थी। कुछ हार्ट शेप के लाल कुशन बेड पर पड़े थे। बेड के पीछे की दीवार पर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की की एंटीक पेंटिंग लगी थी उस पेंटिंग में लड़की ने बहुत ही कम कपड़े पहने हुए थे, उसे देखकर ही विराज की मानसिकता का पता चल रहा था। ऐ सी की ठंडक से पूरा कमरा बहुत ही अच्छे से ठंडा हो रहा था। अरोमा कैंडल्स साइड टेबल पर जल रही थी... जिनसे पूरे कमरे में एक भीनी-भीनी खुशबू बिखरी हुई थी। एक ग्रामोफोन से बहुत ही मध्यम आवाज में... एक म्यूजिक बजा रहा था। एक तरफ दीवार पर बड़ा सा वार्डरोब बना हुआ था। उसी के पास वाला दरवाजा बाथरूम का था। बहुत ही शानदार माहौल था उस कमरे का।
लड़की ने जैसे ही उस कमरे में अपना पैर रखा... विराज ने झटके से दरवाजा बंद कर दिया। लड़की ने कहा, "विराज जी... कुछ पिलाएंगे नहीं... नीचे भी आपने सिर्फ ग्लास ही दिखाया था।"
विराज ने तुरंत वहां के कैबिनेट से व्हिस्की की एक बोतल निकाली… और कहा, "ऊप्सऽऽऽ... ग्लास तो है नहीं... वेट मैं लेकर आता हूं…!!"
लड़की ने कहा, "ग्लास की क्या जरूरत है… बॉटल है ना…!!" ऐसा कहकर लड़की ने विराज से बाॅटल खोलने का इशारा किया। जैसे ही विराज ने बाॅटल खोली लड़की ने विराज का हाथ पकड़कर बॉटल उसके मुंह से लगा दी... और आंखों से इशारा किया... बॉटल खत्म करने का।
विराज ने एक ही सांस में बॉटल खत्म कर दी। धीरे-धीरे व्हिस्की... विराज के सर पर चढ़ने लगी थी। लड़की ने अदा से हंसते हुए विराज को बेड पर धकेल दिया। विराज उस लड़की को देखकर मुस्कुरा रहा था।
इस बार लड़की कूदकर विराज की छाती पर चढ़ गई। विराज केवल उसे मुस्कुरा कर देखे जा रहा था। लड़की ने अपने गाउन के बैक से एक पतला लंबा चाकू धीरे से निकाला। विराज को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वह नासमझी से उस लड़की की तरफ देख रहा था।
लड़की ने वह चाकू विराज चेहरे से लगाया और धीरे-धीरे गले से होते हुए... उसकी सीने पर ले आई थी। विराज समझ नहीं पा रहा था कि हो क्या रहा था …??
उसने हकलाते हुए लड़की से पूछा, "क...क... कौन... कौ... कौन हो तुम? और कर क्या रही हो… तुम??"
लड़की ने जहर भरी मुस्कान के साथ विराज को देखते हुए कहा, "च... च... च... कितनी बुरी याददाश्त है... तुम्हारी…!! इतना बड़ा बिजनेस लोगों को अपने रास्ते से हटाकर ही बनाया है... क्या??"
विराज की आंखें चौड़ी होती जा रही थी, वह हिलने की कोशिश करने लगा... पर व्हिस्की के उसके सर पर चढ़ने के कारण... ज्यादा कुछ कर नहीं पा रहा था।
लड़की ने कहा, "याद करो... शायद तुम्हें याद आ जाए…!!"
विराज अपनी याददाश्त पर जोर डालने लगा... पर उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था। लड़की फिर दोबारा कहने लगी... "स्नेहा... स्नेहा कहते हैं मुझे…!!"
उसका नाम सुनकर विराज के माथे पर पसीने की बूंदे चमक आई और घबरा कर कहने लगा, "क्या... क्या... चाहती हो…? मुझसे…??"
स्नेहा ने कहा, "बदला ऽऽऽऽ…!!! और तुम मुझे दे ही क्या सकते हो…!!" ऐसा कहकर स्नेहा ने उसकी पसलियों पर एक-एक कट लगाना शुरू कर दिया था। ठीक वैसे ही जैसे मछली पकाते समय उसमें चीरे लगाकर उसके कांटे निकाले जाते हैं। बस अब पसलियां... निकालने का समय था।
उस एक कट के लगते ही विराज जोरों से चीख उठा था... पर उसकी बदकिस्मती नौकरों को किसी भी हाल में... रात को घर में आने की इजाजत नहीं थी। एक बार किसी ने गलती से घर में कदम रखा था... तो उसकी सजा उसे अपने पैरों को खोकर चुकानी पड़ी थी। इसलिए कोई भी नौकर उस घर में नहीं आता था।
यही बात स्नेहा के लिए एक वरदान साबित हुई थी। स्नेहा ने उसके सीने पर कई कट लगाए... और हर एक कट से धीरे-धीरे उसकी पसलियां बाहर निकालने लगी थी। पसलियों के साथ-साथ बाहर आ रही थी विराज की चीखें…!!
धीरे-धीरे उसकी सांसे उसका साथ छोड़ने लगी थी। स्नेहा ने एक-एक करके पसलियों... को खींच कर तोड़ना शुरू कर दिया था। विराज की सांसे... धीरे-धीरे मद्धम पड़ती जा रही थी। जल्दी ही उसकी सांसों की डोर टूट गई... स्नेहा ने जब देखा कि विराज मर गया था... तो उसने एक हिकारत भरी नजर... विराज पर डालकर... बेड से नीचे उतर गई। नीचे उतर कर स्नेहा ने उस चाकू को वापस से अपनी ड्रेस में छुपा लिया... और बिना किसी चीज को छुए वापस मुड़ गई।
स्नेहा ने बेडरूम का दरवाजा बंद देखा... तो मुड़कर वही रखा एक नैपकिन उठा लिया... और बेडरूम की चिटकनी खोलकर बाहर आ गई। मेन डोर जब वो आई थी... तभी से खुला हुआ था। स्नेहा ने अपना मुंह स्कार्फ से ढ़का और काला चश्मा पहन कर बंगले से बाहर की तरफ चल दी।
चौकीदार ने उससे कहा, "मैडम रुकिए... मैडम... मैं अभी ड्राइवर को बोलकर आपको जहां जाना है... वहां छुड़वा देता हूं।"
स्नेहा हां बोलते हुए... ड्राइवर का इंतजार करने लगी। जल्दी ही ड्राइवर वह काली कार लेकर स्नेहा के सामने खड़ा था। चौकीदार ने आगे बढ़कर स्नेहा के लिए दरवाजा खोल दिया... स्नेहा गाड़ी में बैठकर बाहर चली गई।
बाहर जाकर स्नेहा ने ड्राइवर से एक पानी की बॉटल लाने के लिए कहा।
स्नेहा ने पूछा, "ड्राइवर भैया... आप मेरे लिए पानी की बॉटल ले आएंगे।"
ड्राइवर ने कहा, "क्यों नहीं... मैडम अभी लाता हूं।" ऐसा कहकर ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकल गया। स्नेहा ने नैपकिन का इस्तेमाल करते हुए... गाड़ी में की सीट से और दरवाजे पर से अपनी उंगलियों के निशान मिटाऐ...और दरवाजा खुला छोड़ कर बाहर निकल गई।
ड्राइवर ने आकर देखा तो गाड़ी खाली थी। उसने अपने कंधे उचका दिये और वापस बंगले की तरफ लौट आया।
सुबह जब अखिलेश, राहुल, गीता और अरुणा... विराज के बंगले पर पहुंचे... तो वहां पहले से ही बहुत ज्यादा अफरा-तफरी मची हुई थी। वहां पुलिस को देख कर अखिलेश का दिमाग एकदम से ठंडा पड़ गया...वह लोग भागते हुए अंदर की तरफ पहुंचे। पुलिस वाले वहां के नौकरों से पूछताछ कर रहे थे। फॉरेंसिक की टीम पूरे घर में फिंगरप्रिंट्स और सबूत ढूंढने लगी थी।
अखिलेश ने इंस्पेक्टर से पूछा... तो उसे पता चला कि विराज की किसी ने बहुत ही बेरहमी से हत्या कर दी थीं। अखिलेश बहुत ही ज्यादा टेंशन में आ गए थे... इतने ज्यादा की बिना कहे... बिना विराज की बॉडी को देखें... परिवार को लेकर चुपचाप बाहर निकल गए।
इतने बड़े बिजनेस पर्सन की हत्या की खबरें चारों तरफ फैल गई। मीडिया भी चारों तरफ अपनी अपनी लाइव कवरेज दिखाने के लिए वहां पर जमा हो रखी थी।
वह लोग जल्दी से बाहर चौकीदार के पास पहुंचे... तो पता चला कि रात को कोई लड़की आई थी और सुबह विराज की लाश ऐसी हालत में मिली।
अखिलेश को यह यह निश्चित हो गया था... कि कोई तो है जो उनके पीछे पड़ गया था...पर वह कौन था?? उस बारे में अभी कोई भी ठोस सबूत नहीं थे। वह लोग वहां से निकल कर अपने घर की तरफ चल दिए।